पीएम नरेंद्र मोदिन् मध्यप्रदेशस्य लगभगम् पंच लक्ष कुटुंबान् गृहस्य पारितोषिकं दत्त: ! पारितोषिकस्य अनंतरम् जनान् संबोध्यन् कथित: ततास्माकं देशे केचनदलानि निर्धनताद्रुतायोद्घोषम् बहु उद्घोषित: तु निर्धनान् सशक्ताय कार्यम् न कृतवान !
पीएम नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के करीब पांच लाख परिवारों को घर की सौगात दी ! सौगात देने के बाद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे देश में कुछ दलों ने गरीबी दूर करने के लिए नारे बहुत लगाए लेकिन गरीबों को सशक्त करने के लिए काम नहीं किया !
एकदा यदा निर्धनम् सशक्तं भवति तर्हि तस्मिन् निर्धनतायारणस्योत्साहमागच्छति एक: विमल सर्वकारस्य प्रयासम्, एकं सशक्तं निर्धनस्य प्रयासम् यदा सह मेलयन्ति तर्हि निर्धनता पराजयति !
एक बार जब गरीब सशक्त होता है तो उसमें गरीबी से लड़ने का हौसला आता है एक ईमानदार सरकार के प्रयास, एक सशक्त गरीब के प्रयास जब साथ मिलते हैं तो गरीबी परास्त होती है !
मध्यप्रदेशस्य जनान् पंचलक्ष गृहाणां पारितोषिकं प्रधानमंत्री आवासयोजनायाः अनुरूपं ग्रामेषु निर्मितं इदम् पंचलक्ष गृहानि, केवलं एकं आंकड़ाम् नास्ति ! इदम् पंचलक्षगृहानि, देशे सशक्तभवितं निर्धनस्य परिचयं सन्ति !
एमपी के लोगों को पांच लाख घरों की सौगात
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गांवों में बने ये पांच लाख घर, सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है ! ये पांच लाख घर, देश में सशक्त होते गरीब का पहचान हैं !
पीएम आवासयोजनायाः अनुरूपम् यत् गृहानि निर्मितानि, तेषुतः लगभगम् द्विकोटि गृहेषु अधिकार महिलानां अपि अस्ति ! इत्याधिकारम् गृहस्य द्वितीय आर्थिक निर्णयेषु अपि महिलानां अंशदारिम् दृढ़म् कृतं !
पीएम आवास योजना के तहत जो घर बने हैं, उनमें से करीब-करीब दो करोड़ घरों पर मालिकाना हक महिलाओं का भी है ! इस मालिकाना हक ने घर के दूसरे आर्थिक फैसलों में भी महिलाओं की भागीदारी को मजबूत किया है !
महिलानां पीड़ाम् द्रुताय वयं प्रत्येक गृहम् जलदत्तस्य कार्यम् स्वीकृतं ! विगत द्वयार्ध वर्षे इति योजनायाः अनुरूपम् संपूर्णदेशे ६ कोटितः अधिकं कुटुंबान् शुद्धपेयजलम् व्यवस्थाम् ळब्धं !
महिलाओं की परेशानी को दूर करने के लिए हमने हर घर जल पहुंचाने का बीड़ा भी उठाया है ! बीते ढाई साल में इस योजना के तहत देशभर में 6 करोड़ से अधिक परिवारों को शुद्ध पेयजल कनेक्शन मिल चुका है !
१०० वर्षेषु आगतं इति सर्वात् वृहत् महामार्याम्, अस्माकं सर्वकारः निर्धनान् निःशुल्कान्नाय २ लक्ष ६० सहस्र कोटि रूप्यकाणि व्ययं कृतं ! अग्रिम ६ वर्षेषु यस्मिन् ८० सहस्र कोटि रूप्यकाणि अतिरिक्तं व्ययं करिष्यते !
100 साल में आई इस सबसे बड़ी महामारी में, हमारी सरकार गरीबों को मुफ्त राशन के लिए 2 लाख 60 हजार करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है ! अगले 6 महीने में इस पर 80 हजार करोड़ रुपए और खर्च किए जाएंगे !
२०१४ तमे सर्वकारे आगमनस्यानंतरेण इव अस्माकं सर्वकारः एतान् अनाधिकृत नामानि अन्वेषणम् आरंभितः यै: अन्नस्यानुक्रमणिकाया निर्वर्तितं कुत्रचित निर्धनान् तस्याधिकारम् ळब्धुं शक्नुतं ! यदा येषां जनानां सर्वकारः आसीत्, तर्हि यै: निर्धनानां अन्नम् लूंठनाय स्व ४ कोटि अनाधिकृत जनाः कर्गदेषु नियुक्तं कृतवान स्म !
2014 में सरकार में आने के बाद से ही हमारी सरकार ने इन फर्जी नामों को खोजना शुरू किया और इन्हें राशन की लिस्ट से हटाया ताकि गरीब को उसका हक मिल सके ! जब इन लोगों की सरकार थी, तो इन्होंने गरीबों के राशन को लूटने के लिए अपने 4 करोड़ फर्जी लोग कागजों में तैनात कर दिए थे !
एतेषां ४ कोटि अनाधिकृत जनानां नाम्नान्नमुत्थायते स्म, आपणे विक्रयते स्म, तस्य च् पणानि एतेषां जनानां कृष्णकोषेषु ळब्धते स्म ! दीर्घकालमेव ग्रामस्य अर्थव्यवस्थाम् केवलं कृषि एव सीमितं कृत्वा दर्शितं !
इन 4 करोड़ फर्जी लोगों के नाम से राशन उठाया जाता था, बाजार में बेचा जाता था, और उसके पैसे इन लोगों के काले खातों में पहुंचते थे ! लंबे समय तक गांव की अर्थव्यवस्था को सिर्फ खेती तक ही सीमित करके देखा गया !
वयं कृषिम्, कृषकम्, पशुपालकं ड्रोन यथैवाधुनिक तकनीकं प्राकृतिककृषिम् च् यथैव पुरातनव्यवस्थाम् प्रति प्रोत्साहित कर्तुं इव रमन्ति ! सहैव ग्रामस्य द्वितीय क्षमतानपि शोभनम् कुर्वन्ति !
हम खेती को, किसान को, पशुपालक को ड्रोन जैसी आधुनिक टेक्नॉलॉजी और प्राकृतिक खेती जैसी पुरातन व्यवस्था की ओर प्रोत्साहित कर ही रहे हैं ! साथ ही गांव की दूसरी क्षमताओं को भी निखार रहे हैं !
वयं मेलित्वा एकं कार्यम् कर्तुं शक्नुम: ! वयं संकल्पं करवाम ततेति वर्षम् प्रतिपदाया अग्रिम वर्षम् प्रतिपदायाः एव, प्रत्येकजनपदे ७५ अमृत सरोवर: निर्मिष्यति ! यदि संभवति तर्हि प्रत्येक जनपदे इदम् अमृत सरोवर: नवासि, वृहतसि !
हम सब मिलकर एक काम कर सकते हैं। हम संकल्प करें कि इस वर्ष प्रतिपदा से अगली वर्ष प्रतिपदा के तक, हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाएंगे ! संभव हो तो हर जिले में ये अमृत सरोवर नए हों, बड़े हों !