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झांसिण: राज्ञी इत्या: पुत्र दामोदर रावस्य किं अभवत् स्म राज्ञी इत्या: निधनस्यानंतरम् ? झांसी की रानी के पुत्र दामोदर राव का क्या हुआ था रानी के मृत्यु के बाद ?

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झांस्याः अंतिम संघर्षे महारान्या: पृष्ठे अवरुद्ध: तस्या: पुत्र दामोदर राव: (सद् नाम आनंद राव:) सर्वान् स्मरणमस्ति ! रान्या: चिता ज्वलस्य अनंतरम् तस्य पुत्रस्य काभवत् तः कश्चित कथानकस्य पात्रमेव नासीत् ?

झांसी के अंतिम संघर्ष में महारानी की पीठ पर बंधा उनका बेटा दामोदर राव (असली नाम आनंद राव) सबको याद है ! रानी की चिता जल जाने के बाद उस बेटे का क्या हुआ ? वो कोई कहानी का किरदार भर नहीं था !

१८५७ तमस्य विद्रोहस्य सर्वात् महत् कथानकं जीवित: कुमार: आसीत् यः तमेव दास भारते जीवनम् यापित:, यत्र तेन विस्मृत्वा तस्य मातु: नाम्नः शपथानि नयन्ते ! आंग्ला: दामोदर रावम् कदाचित् झांस्याः उत्तराधिकारिन् न मानित: आसीत् !

1857 के विद्रोह की सबसे महत्वपूर्ण कहानी को जीने वाला राजकुमार था जिसने उसी गुलाम भारत में जिंदगी काटी, जहां उसे भुला कर उसकी मां के नाम की कसमें खाई जा रही थी ! अंग्रेजों ने दामोदर राव को कभी झांसी का वारिस नहीं माना था !

अतएव तेन सर्वकारी अभिलेखेषु कश्चित स्थानं न ळब्ध: आसीत्, बहवः हिंदुस्तानिण: सुभद्रा कुमारी चौहान्या: केचन सम्यक्, केचनासत्यं अलंकारिक वर्णनमेवेतिहासम् मानित्वा इतिश्री कृतवान् !

इसलिए उसे सरकारी दस्तावेजों में कोई जगह नहीं मिली थी, ज्यादातर हिंदुस्तानियों ने सुभद्रा कुमारी चौहान के कुछ सही, कुछ गलत अलंकारिक वर्णन को ही इतिहास मानकर इतिश्री कर ली !

१९५९ तमे टंकितं वाई एन केलकरस्य मराठी पुस्तकं इतिहासाच्य सहली (इतिहासस्य भ्रमण) इत्यां दामोदर रावस्यैकल वर्णनम् टंकित: ! महारान्या: मृत्यो: अनंतरम् दामोदर राव: एकेण प्रकारेणाभिशप्त जीवनम् याप्तवान् ! तस्यास्य असाधु स्थित्या: उत्तरदायिन् केवलं आंग्ल: एव न हिंदुस्तानस्य जनाः अपि समरूपेण आसन् !

1959 में छपी वाई एन केलकर की मराठी किताब इतिहासाच्य सहली (इतिहास की सैर) में दामोदर राव का इकलौता वर्णन छपा !
महारानी की मृत्यु के बाद दामोदार राव ने एक तरह से अभिशप्त जीवन जिया ! उनकी इस बदहाली के जिम्मेदार सिर्फ फिरंगी ही नहीं हिंदुस्तान के लोग भी बराबरी से थे !

आगच्छतु, दमोदरस्य कथानक दामोदरस्य जिह्वीय शृणोत्, १५ नवंबर १८४९ तमम् नेवलकर: राजकुटुंबस्यैके शाखायां उत्पादयत् ! ज्योतिषिन् ज्ञाप्तवान् तत मम जन्मपत्रिकायां राजयोग: अस्ति अहम् च् नृप: भविष्यामि ! इदं मम जीवने सर्वात् दुर्भाग्यपूर्णरूपेण सत्य अभवत् !

आइये, दामोदर की कहानी दामोदर की जुबानी सुनते हैं, 15 नवंबर 1849 को नेवलकर राजपरिवार की एक शाखा में मैं पैदा हुआ ! ज्योतिषी ने बताया कि मेरी कुंडली में राज योग है और मैं राजा बनूंगा ! ये बात मेरी जिंदगी में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से सच हुई !

त्रीणि वर्षस्य वये महाराज: मया दत्तक: नयवान् ! दत्तक: नयस्य औपचारिक स्वीकृतम् आगमनेण पूर्वमेव पिता महोदयः पंचतत्व गत: ! मातासाहेब (महारानी लक्ष्मीबाई) कोलकातायां डलहौजीम् सन्देशम् प्रेषितवती तत मया उत्तराधिकारिन् मान्यतु ! तु इदृशं नाभवत् !

तीन साल की उम्र में महाराज ने मुझे गोद ले लिया ! गोद लेने की औपचारिक स्वीकृति आने से पहले ही पिताजी नहीं रहे ! मां साहेब (महारानी लक्ष्मीबाई) ने कलकत्ता में डलहॉजी को संदेश भेजा कि मुझे वारिस मान लिया जाए ! मगर ऐसा नहीं हुआ !

डलहौजी अदिष्ट: तत झांसिम् ब्रिटिश राज्ये मेलिष्यते ! माता साहेब इतम् ५००० वार्षिक पेंशन दाष्यते ! येन सहैव महाराजस्य पूर्ण संपत्तिमपि माता साहेब इत्या: पार्श्व रमिष्यति ! माता साहेब इत्या: अनंतरम् मम पूर्णाधिकारम् तस्य कोषे भविष्यति तु मया झांस्याः राज्यम् न ळब्धिष्यते !

डलहॉजी ने आदेश दिया कि झांसी को ब्रिटिश राज में मिला लिया जाएगा ! मां साहेब को 5,000 सालाना पेंशन दी जाएगी ! इसके साथ ही महाराज की सारी सम्पत्ति भी मां साहेब के पास रहेगी ! मां साहेब के बाद मेरा पूरा हक उनके खजाने पर होगा मगर मुझे झांसी का राज नहीं मिलेगा !

यस्यातिरिक्तं आंग्लानां कोषे पितु: सप्त लक्ष रूप्यकाणि अपि कोषगतमासीत् ! आंग्ला: अकथयत् तत मम वयस्कभूते तत पणम् मया दाष्यते ! माता साहेब इतम् ग्वालियरस्य रणे बलिदानम् ळब्धवत् !

इसके अलावा अंग्रेजों के खजाने में पिताजी के सात लाख रुपए भी जमा थे ! फिरंगियों ने कहा कि मेरे बालिग होने पर वो पैसा मुझे दे दिया जाएगा ! मां साहेब को ग्वालियर की लड़ाई में शहादत मिली !

मम सेवकौ (रामचंद्र राव देशमुख: काशी बाई च्) अवशेष जनाः चनंतरे मया ज्ञाप्तवंत: तत माता मया पूर्ण रणे स्वपृष्ठे स्थापितवती स्म ! मया स्वयं इदम् सम्यक् रूपेण स्मरणम् न ! अस्य रणस्यानंतरम् अस्माकं पूर्ण ६० विश्वास पात्रा: एव जीवितुमवशेषयन् स्म !

मेरे सेवकों (रामचंद्र राव देशमुख और काशी बाई) और बाकी लोगों ने बाद में मुझे बताया कि मां ने मुझे पूरी लड़ाई में अपनी पीठ पर बैठा रखा था ! मुझे खुद ये ठीक से याद नहीं ! इस लड़ाई के बाद हमारे कुल 60 विश्वासपात्र ही जिंदा बच पाए थे !

नन्हें खान रिसालेदार:, गनपत राव:, रघुनाथ सिंह: रामचंद्र राव देशमुख: च् मम उत्तरदायित्व उत्थायन् ! २२ अश्वै: ६० उष्ट्रै: च् सह बुंदेलखंडस्य चंदेरिं प्रति पुनः अचलत् ! अस्माकं पार्श्व भक्षितुं, पाचितुं रमितुं च् केचन नासीत् ! कश्चितापि ग्रामे अस्माभिः आश्रय: न ळब्धवंत: !

नन्हें खान रिसालेदार, गनपत राव, रघुनाथ सिंह और रामचंद्र राव देशमुख ने मेरी जिम्मेदारी उठाई ! 22 घोड़े और 60 ऊंटों के साथ बुंदेलखंड के चंदेरी की तरफ चल पड़े ! हमारे पास खाने, पकाने और रहने के लिए कुछ नहीं था ! किसी भी गांव में हमें शरण नहीं मिली !

मई-जून मासस्य निदाघे वृक्षाणां खमस्य अधो रात्रि यापितवन्तः ! भगवतकृपासीत् तत वनस्य फलानां कारणं कदापि बुभुक्षितं सुप्तस्य काळं नागतवान् ! वास्तविक संकटम् वर्षारंभेण सह अरभत् ! गहन वने तीव्र मानसूने रमितुमसंभव: अभवत् !

मई-जून की गर्मी में हम पेड़ों तले खुले आसमान के नीचे रात बिताते रहे ! शुक्र था कि जंगल के फलों के चलते कभी भूखे सोने की नौबत नहीं आई ! असल दिक्कत बारिश शुरू होने के साथ शुरू हुई ! घने जंगल में तेज मानसून में रहना असंभव हो गया !

कश्चित प्रकारमेकस्य ग्रामस्य प्रमुख: अस्माभिः भोजनम् दत्तस्य वार्ता स्वीकरोतु ! रघुनाथ रावस्योपदेशे वयं १०-१० इत्यानां खंडेषु विभक्त्य रमितुमरभन् ! प्रमुख: एकस्य मासस्य खाद्यान्नम् ब्रिटिश सैन्यम् च् सूचना न कृतस्य मूल्य ५०० रूप्यकाणि, ९ अश्वा: ४ उष्ट्रा: च् निश्चयतु !

किसी तरह एक गांव के मुखिया ने हमें खाना देने की बात मान ली ! रघुनाथ राव की सलाह पर हम 10-10 की टुकड़ियों में बंटकर रहने लगे ! मुखिया ने एक महीने के राशन और ब्रिटिश सेना को खबर न करने की कीमत 500 रुपए, 9 घोड़े और चार ऊंट तय की !

वयं यस्मिन् स्थाने रमामः स्म तः कश्चित जलप्रपातस्य पार्श्वासीत् शोभनमासीत् च् ! दर्शितं-दर्शितं द्वे वर्षे निःसृतवतः ! ग्वालियर त्यजितुं काळमस्माकं पार्श्व ६०००० रूप्यकाणि स्म, यतधुना पूर्णरूपम् संपादितं अभवत् स्म ! मम स्वास्थ्य इयतसाधु अभवत् तत सर्वान् अनुभूष्यन्ते तताहम् न जीवितुं रमिष्यामि !

हम जिस जगह पर रहे थे वो किसी झरने के पास थी और खूबसूरत थी ! देखते-देखते दो साल निकल गए ! ग्वालियर छोड़ते समय हमारे पास 60,000 रुपए थे, जो अब पूरी तरह खत्म हो गए थे ! मेरी तबियत इतनी खराब हो गई कि सबको लगा कि मैं नहीं बचूंगा !

मम जनाः प्रमुखतः प्रार्थना कृतवन्तः तत तः कश्चित भिषकस्य व्यवस्थाम् करोतु ! मम सुश्रुषा तु अभवत् तु अस्मान् विना पणस्य तत्र रमस्य न दत्तवान् ! मम जनाः प्रमुखम् २०० रूप्यकाणि दत्तवन्तः पशवः च्पुनः याचिष्यन्ते ! तं अस्माभिः केवलं ३ अश्वा: पुनः दत्तवान् ! तत्रतः चलस्यानंतरम् वयं २४ जनै: सहाभवाम !

मेरे लोग मुखिया से गिड़गिड़ाए कि वो किसी वैद्य का इंतजाम करें ! मेरा इलाज तो हो गया मगर हमें बिना पैसे के वहां रहने नहीं दिया गया ! मेरे लोगों ने मुखिया को 200 रुपए दिए और जानवर वापस मांगे ! उसने हमें सिर्फ 3 घोड़े वापस दिए ! वहां से चलने के बाद हम 24 लोग साथ हो गए !

ग्वालियरस्य शिप्र्यां ग्रामवासिन: अस्माभिः विद्रोहिण: रूपे परिचयं कृतवन्तः ! तत्र त्रीणि दिवसानि ते अस्माभिः अवरुद्धवन्तः, पुनः सैनिकै: सह झालरपाटनस्य पॉलिटिकल एजेंट इत्या: पार्श्व प्रेषितवन्तः ! मम जनाः मया पदीय चलितुं न दत्तवन्तः ! ताः एकः-एकः कृत्वा मया स्वपृष्ठे तिष्ठयते !

ग्वालियर के शिप्री में गांव वालों ने हमें बागी के तौर पर पहचान लिया ! वहां तीन दिन उन्होंने हमें बंद रखा, फिर सिपाहियों के साथ झालरपाटन के पॉलिटिकल एजेंट के पास भेज दिया ! मेरे लोगों ने मुझे पैदल नहीं चलने दिया ! वो एक-एक कर मुझे अपनी पीठ पर बैठाते रहे !

अस्माकं बहवः जनान् पागलगृहे क्षिप्तवान् ! माता साहेब इत्या: रिसालेदार नन्हें खान: पॉलिटिकल एजेंट इत्या वार्ता कृतवान् ! सः फ्लिंकतः अकथयत् तत झांसी राज्ञी महोदयायाः पुत्राधुना ९-१० वर्षस्यास्ति ! राज्ञी महोदयायाः अनंतरम् तेन वनेषु पशवः यथैव जीवनम् कर्तितुं भवति !

हमारे ज्यादातर लोगों को पागलखाने में डाल दिया गया ! मां साहेब के रिसालेदार नन्हें खान ने पॉलिटिकल एजेंट से बात की ! उन्होंने फ्लिंक से कहा कि झांसी रानी साहिबा का बच्चा अभी 9-10 साल का है ! रानी साहिबा के बाद उसे जंगलों में जानवरों जैसी जिंदगी काटनी पड़ रही है !

बालकेण तु सर्वकारम् कश्चित क्षति न ! येन त्यजतु पूर्ण देशम् भवतम् साधुवाद: दाष्यति ! फ्लिंक: एकः दयालु: मानवः आसीत्, सः सर्वकारेण अस्माकं प्रार्थना कृतवान् ! तत्रतः वयं स्व विश्वासपात्रै: सह इंदौरस्य कर्नल रिचर्ड शेक्सपियरतः मेलितुं निःसृतवान् ! अस्माकं पार्श्वाधुना कश्चित पणमवशेषम् नासीत् !

बच्चे से तो सरकार को कोई नुकसान नहीं ! इसे छोड़ दीजिए पूरा मुल्क आपको दुआएं देगा ! फ्लिंक एक दयालु आदमी थे, उन्होंने सरकार से हमारी पैरवी की ! वहां से हम अपने विश्वस्तों के साथ इंदौर के कर्नल रिचर्ड शेक्सपियर से मिलने निकल गए ! हमारे पास अब कोई पैसा बाकी नहीं था !

मार्गस्य व्ययं भोजनस्य च् संचितुं माता साहेब इत्या: ३२ तुल्यस्य द्वे तोड़े इति अस्माभिः दत्तुं अभवत् ! माता साहेब इत्या संलग्ना तैव एकम् अंतिम वस्तु अस्माकं पार्श्वासीत् ! यस्यानंतरम् ५ मई १८६० तमम् दामोदर रावम् इंदौरे १०००० वार्षिकस्य पेंशन इति आंग्ला: कृतवान् !

सफर का खर्च और खाने के जुगाड़ के लिए मां साहेब के 32 तोले के दो तोड़े हमें देने पड़े ! मां साहेब से जुड़ी वही एक आखिरी चीज हमारे पास थी ! इसके बाद 5 मई 1860 को दामोदर राव को इंदौर में 10,000 सालाना की पेंशन अंग्रेजों ने बांध दी !

तेन केवलं सप्त जनान् स्वेण सह धृतस्याज्ञाम् ळब्धवान् ! ब्रिटिश सर्वकारः सप्त लक्ष रूप्यकाणि पुनः दत्तेनापि न कृतवान् ! दामोदर रावस्य वास्तविक पितु: द्वितीय भार्या तं पोषिता ! १८७९ तमे तस्य एकः बालक: लक्ष्मण राव: अभवत् ! दामोदर रावस्य दिवसं बहु निर्धनतायां निर्जनतायां च् यापित: !

उन्हें सिर्फ सात लोगों को अपने साथ रखने की इजाजत मिली ! ब्रिटिश सरकार ने सात लाख रुपए लौटाने से भी इंकार कर दिया ! दामोदर राव के असली पिता की दूसरी पत्नी ने उनको बड़ा किया ! 1879 में उनके एक लड़का लक्ष्मण राव हुआ ! दामोदर राव के दिन बहुत गरीबी और गुमनामी में बीते !

यस्यानंतरमपि आंग्ल: तस्मिन् तीक्ष्णदृष्टिम् धृति स्म ! दामोदर रावेण सह तस्य पुत्र लक्ष्मण रावम् अपि इंदौरतः बहिः गमनस्याज्ञा नासीत् ! यस्य कुटुंबिकः अद्यापि इंदौरे झांसिकः इति नाम्ना सह रमन्ति ! राज्ञी इत्या: एकः विभ्रात: चिंतामन राव तांबे अपि आसीत् !

इसके बाद भी अंग्रेज उन पर कड़ी निगरानी रखते थे ! दामोदर राव के साथ उनके बेटे लक्ष्मणराव को भी इंदौर से बाहर जाने की इजाजत नहीं थी ! इनके परिवार वाले आज भी इंदौर में झांसीवाले सरनेम के साथ रहते हैं ! रानी के एक सौतेला भाई चिंतामनराव तांबे भी था !

तांबे कुटुंबमस्मिन्काले पूनायां रमति ! झांसिण: राज्ञी इत्या: वंशज: इंदौरस्यातिरिक्तं देशस्य केचनान्येषु क्षेत्रेषु रमन्ति ! यदा दामोदर राव नेवालकर: ५ मई १८६० तमम् इंदौरम् प्राप्तवान् स्म तदा इंदौरे रमन् तस्य पितृव्या या दामोदर रावस्य वास्तविक मातासीत् !

तांबे परिवार इस समय पूना में रहता है ! झाँसी के रानी के वंशज इंदौर के अलावा देश के कुछ अन्य भागों में रहते हैं ! वे अपने नाम के साथ झाँसीवाले लिखा करते हैं ! जब दामोदर राव नेवालकर 5 मई 1860 को इंदौर पहुँचे थे तब इंदौर में रहते हुए उनकी चाची जो दामोदर राव की असली माँ थी !

वये भूते दामोदर रावस्य पाणिग्रहण कारयति तु केचनमेव कालांतरम् दामोदर रावस्य प्रथम भार्यायाः निधनं भवते ! दामोदर रावस्य द्वितीय पाणिग्रहणतः लक्ष्मण रावस्य जन्माभवत् ! दामोदर रावस्योदासीनता तथा संकटपूर्णे जीवनं २८ मई १९०६ तमम् इंदौरे संपादितवान् !

बड़े होने पर दामोदर राव का विवाह करवा देती है लेकिन कुछ ही समय बाद दामोदर राव की पहली पत्नी का देहांत हो जाता है ! दामोदर राव की दूसरी शादी से लक्ष्मण राव का जन्म हुआ ! दामोदर राव का उदासीन तथा कठिनाई भरा जीवन 28 मई 1906 को इंदौर में समाप्त हो गया !

अग्रिम वंशे लक्ष्मण रावस्य पुत्र कृष्ण राव: चंद्रकांत राव: चभवताम् ! कृष्ण रावस्य द्वौ पुत्रौ मनोहर राव:, अरुण राव: तथा चंद्रकांतस्य त्रय: पुत्रा: अक्षय चंद्रकांत राव:, अतुल चंद्रकांत राव: शांति प्रमोद चंद्रकांत राव: चभवन् ! दामोदर राव: चित्रकार: आसीत् सः स्वमातु: स्मरणे तस्या: बहूनि चित्राणि अरचयत् यानि झांसी कुटुंबस्यामूल्य धरोहर: सन्ति !

अगली पीढ़ी में लक्ष्मण राव के बेटे कृष्ण राव और चंद्रकांत राव हुए ! कृष्ण राव के दो पुत्र मनोहर राव, अरूण राव तथा चंद्रकांत के तीन पुत्र अक्षय चंद्रकांत राव, अतुल चंद्रकांत राव और शांति प्रमोद चंद्रकांत राव हुए ! दामोदर राव चित्रकार थे उन्होंने अपनी माँ के याद में उनके कई चित्र बनाये हैं जो झाँसी परिवार की अमूल्य धरोहर हैं !

तस्य वंशज: लक्ष्मण राव: तथा कृष्ण राव: इंदौर न्यायालये टाईपिस्ट इत्या: कार्यं कुर्वत: स्म ! अरुण राव: मध्यप्रदेश विद्युत मंडले जूनियर इंजीनियर रूपे २००२ तमे सेवानिवृत्त अभवत् ! तस्य पुत्र योगेश राव: सॉफ्टवेयर इंजीनियर इत्यास्ति !

उनके वंशज लक्ष्मण राव तथा कृष्ण राव इंदौर न्यायालय में टाईपिस्ट का कार्य करते थे ! अरूण राव मध्यप्रदेश विद्युत मंडल में बतौर जूनियर इंजीनियर 2002 में सेवानिवृत्त हुए हैं ! उनका बेटा योगेश राव सॅाफ्टवेयर इंजीनियर है !

वंशजेषु प्रपौत्र अरुण राव: झांसिकः, तस्य धर्म पत्नी वैशाल्या:, पुत्र योगेशस्य बधू प्रीत्या: वा धन्वंतरिनगर इंदौरे सामान्य नागरिकमिव मध्यम वर्ग कुटुंबम् सन्ति ! कांग्रेसस्य चाटूकारा: तु केवलं नेहरू कुटुंबस्यैव गाथागायन् एतान् तु विस्मृतैव दत्तवन्तः याः वास्तविक रणम् कृतवन्तः स्म, आंग्लस्य विरुद्धं !

वंशजों में प्रपौत्र अरुण राव झाँसीवाला, उनकी धर्मपत्नी वैशाली, बेटे योगेश व बहू प्रीति का धन्वंतरिनगर इंदौर में सामान्य नागरिक की तरह मध्यम वर्ग परिवार हैं ! कांग्रेस के चाटुकारों ने तो सिर्फ नेहरू परिवार की ही गाथा गाई है इन लोगों को तो भुला ही दिया गया है जिन्होंने असली लड़ाई लड़ी थी, अंग्रेजो के खिलाफ !

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